June 15, 2025
Bodhaghat Pariyojna

Bodhaghat Pariyojna

What is Bodhghat Multipurpose Irrigation Project: छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद विकास के कई पैमानों पर अभी भी पिछड़ा हुआ माना जाता रहा है। परंतु अब यह तस्वीर बदलने वाली है। बस्तर की जल-समस्या, कृषि संकट और ऊर्जा की आवश्यकता को दूर करने वाली ऐतिहासिक योजना को नई ऊर्जा मिली है। हाल ही में 6 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री की मुलाकात के बाद बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना को लेकर एक सकारात्मक दिशा में निर्णायक संकेत मिले हैं। परियोजना के विस्तार की बात अब 49 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है, जिससे यह और भी व्यापक रूप ले चुकी है।

बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना क्या है?

What is Bodhghat Multipurpose Irrigation Project: बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित एक विशाल जल संसाधन योजना है। इसका उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति, मत्स्य पालन और पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह परियोजना वर्ष 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन वर्षों से लंबित थी। अब इसे पुनः सक्रिय करते हुए और विस्तारित रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत अब लगभग ₹49,000 करोड़ तक पहुंच गई है।

इस परियोजना से लगभग 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन, 366580 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र, और 359 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही, यह बस्तर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करेगी।

बोधघाट परियोजना: विकास का आधार स्तंभ

बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना अब केवल एक डैम या पनबिजली योजना भर नहीं है, बल्कि यह बस्तर के समग्र विकास की आधारशिला बन चुकी है। इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित इस परियोजना से सिंचाई, बिजली उत्पादन, जल संरक्षण और रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे।

  • बिजली उत्पादन: इस परियोजना के अंतर्गत 300 मेगावाट की जल विद्युत क्षमता प्रस्तावित है, जो बस्तर और छत्तीसगढ़ के ऊर्जा संकट को कम कर सकती है।
  • सिंचाई विस्तार: वर्तमान में बस्तर में सिंचाई क्षमता केवल 13% है, जबकि इस परियोजना से यह 366580 हेक्टेयर तक बढ़ेगी।
  • गांवों को मिलेगा फायदा: लगभग 359 गांव सीधे इस परियोजना से लाभान्वित होंगे।
  • पेयजल और मत्स्य पालन: नहरों के माध्यम से जल आपूर्ति से पेयजल संकट दूर होगा और मत्स्य पालन जैसे ग्रामीण उद्यम को बल मिलेगा।

इंद्रावती और महानदी का जुड़ाव: एक ऐतिहासिक कदम

इस परियोजना की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इसमें इंद्रावती और महानदी जैसी दो प्रमुख नदियों को जोड़ने की परिकल्पना की गई है। यह केवल जल आपूर्ति का संतुलन नहीं बल्कि राज्य के जल प्रबंधन का क्रांतिकारी कदम होगा। इससे बस्तर के सूखे इलाकों में भी हरियाली का विस्तार संभव होगा और छत्तीसगढ़ में जल संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री स्तर पर हुई सहमति: आशा की नई किरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री की उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार इस परियोजना को लेकर गंभीर है। यदि इसकी स्वीकृति शीघ्र मिलती है, तो यह योजना छत्तीसगढ़ में बुनियादी ढांचे के विस्तार, रोजगार के अवसरों और ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

निष्कर्ष:

बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना अब केवल एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि बस्तर की आशाओं का प्रतीक बन चुकी है। इंद्रावती और महानदी के संगम से बस्तर को नई पहचान मिलेगी। जब यह परियोजना पूरी होगी, तब न केवल खेतों में पानी बहेगा बल्कि बस्तर के चेहरे पर विकास की चमक साफ दिखाई देगी।

अब समय आ गया है कि इस परियोजना को लेकर सब मिलकर आगे बढ़ें और बस्तर को उसका हक और भविष्य दोनों दिलाएं।

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