jageshwar yadav padma shri award

छत्तीसगढ़ के जागेश्वर यादव को पद्मश्री: जानिए उनके बारे में पूरी जानकारी

Padmashree jageshwar yadav jashpur chhattisgarh: व्यक्ति में अगर हौसला और जज्बा हो तो वो किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है यही बात सिद्ध होती है छत्तीसगढ़ के जागेश्वर यादव पर जिन्हे  2024 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।  आपो बता दे कि छत्तीसगढ़ राज्य से इस साल 3 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। जिसमें जागेश्वर यादव, रामलाल बरेठ और हेमचंद मांझी का नाम शामिल है।  जागेश्वर यादव की बात करें तो उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा के लिए दे दिया है. आगे हम जागेश्वर यादव के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराएँगे कि जागेश्वर यादव कौन हैं? उनके किस योगदान के लिए सरकार उन्हें पद्मश्री जैसे पुरस्कार से सम्मानित करेगी

कौन हैं जागेश्वर यादव?: Padmashree jageshwar yadav jashpur chhattisgarh

जागेश्वर यादव (jageshwar yadav) को बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के प्रति उनके समर्पण के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा। जागेश्वर यादव के जीवन से पहाड़ी कोरवा समुदाय समृद्ध हुआ है। जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के कुनकुरी ब्लाक में बादलखोल अभ्यारण्य क्षेत्र के घने जंगलो के बीच बसे एक छोटे से गांव भितघरा में हुआ था।

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जागेश्वर यादव को क्यों और किस क्षेत्र में पद्मश्री मिला ?

Why and in which field did Jageshwar Yadav get Padma Shri?: बिरहोर आदिवासियों की दशा 80 के दशक में अत्यंत दयनीय थी।  जागेश्वर यादव ने बचपन से ही बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी।  घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर जनजाति के लोगों के पास शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार का अभाव था। जागेश्वर यादव के प्रयास से बिरहोरों का जीवन बेहतर हुआ है. कुछ समय तक उनके बीच रहकर वह उनकी संस्कृति और भाषा सीखी और उन लोगों से परिचित हो गये। उन्होंने बिरहोरों को शिक्षा के लाभों के बारे में शिक्षित करके उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। जागेश्वर यादव 1980 के दशक से हो बिरहोर जनजाति के विकास के लिए काम कर रहे हैं और उनकी स्थिति सुधारने के लिए प्रयासरत रहे। आदिवासियों के लिए सामाजिक कार्य के लिए इन्हे पद्म श्री सम्मान मिला।

पद्मश्री पुरस्कार से पहले शहीद वीर नारायण पुरस्कार से भी सम्मानित 

“बिरहोर के भाई” के नाम से प्रसिद्ध जागेश्वर ने जब जंगल में रहते हुए शुरुआत में जूते-चप्पल पहनना छोड़ दिया और हाफ पैंट और शर्ट पहनने लगे और जमीन पर सोने लगे। जिसके बाद समय के साथ वहां रहने वाले बिरहोर जनजातियों ने  जागेश्वर यादव पर भरोसा करने लगे। इसके बाद, धीरे धीरे उन्होंने बिरहोर लोगों के जीवन बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य की सुविधाओं और शिक्षा को बढ़ावा देने लगे तथा इसके लिए खुद को समर्पित कर दिया. उनके इसी लगातार कोशिशों की बदौलत साल 2021 में बिरहोर समुदाय की एक बालिका ने पहली बार बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया था। बालिका की इस उपलब्धि को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर महादेव कावरे ने बालिका को सम्मानित किया था। जागेश्वर यादव को उनके इसी प्रयासों और कामों के लिए पद्मश्री पुरस्कार( jageshwar yadav padma shri award) से पहले साल 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान भी मिल चुका है। 

80 के दशक से बिरहोर जनजाति के विकास के लिए विशेष प्रयास

जागेश्वर यादव ने बिरहोर जनजाति जनजाति को शिक्षित तथा उनके उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की है। बता दे कि,अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के कार्यकाल के समय बिरहोर जनजाति को लोगों को घने जंगलों से निकालकर तात्कालीन सरकार ने बस्तियों मे बसाया तथा इनके जीविकोपार्जन के लिए इन्हे जल जमीन भी उपलब्ध कराया था इतना सब करने के बावजूद बिरहोर जनजाति के लोग घने जंगल के जीवन के आदि हो चुके थे  जिस कारण वे  ग्रामीण परिवेश मे खुद को ढाल नहीं सके और लगातार विकास के क्रम मे पिछड़ते चले गए। स्वास्थ को लेकर जागरूकता की कमी तथा बैगा और तंत्र मंत्र में विश्वास के कारण बीमारियों से ग्रसित भी हो रहे थे।  जिससे इनकी जनसंख्या भी घटने लगी थी। 

अपने युवा अवस्था से ही भितघरा के निवासी जागेश्वर यादव बिरहोर के सम्पर्क मे आए इनकी दुर्दशा देख कर उन्होंने अपने तन मन और जीवन इनके विकास के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया। चूंकि बिरहोर जाति के लोग आम लोगो से जल्दी किसी पे विश्वास और बात नहीं करते थे इसलिए जागेश्वर ने उनसे सम्पर्क बढ़ाने के लिए उनके पहनावा और जीवन शैली को भी अपना लिया।

1989 से ही पद्मश्री से सम्मनित जागेश्वर यादव बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए जशपुर (jageshwar yadav jashpur) में एक आश्रम की स्थापना कर लोगों के लिए हर संभव मदद कर रहे है।  साथ ही शिविर लगाकर बिरहोर जनजाति को शिक्षित और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है. उन्होंने कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई.व शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी कई प्रयास किये। 

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