Pandit Ravishankar Shukla biography in Hindi: पंडित रविशंकर शुक्ल छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध एवं जाने माने नेता व स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत की आजादी आंदोलनों में बढ़ चढ़कर योगदान दिया है। पं. रविशंकर शुक्ल (Pandit ravishankar shukla) का जन्म 2 अगस्त सन् 1877 को सागर में हुआ था। पंडित रविशंकर शुक्ल (Pandit ravishankar shukla) जी के पिताजी का नाम जगन्नाथ प्रसाद तथा माताजी का नाम तुलसी देवी था।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा सागर में ही हुई. बाद में उनके पिताजी अपने कारोबार के सिलसिले में राजनांदगाँव चले गए. कुछ समय बाद वे रायपुर में आकर बस गए. बी.ए. करने के बाद रविशंकर शुक्ल की नियुक्ति चीफ कमिश्नर के दफ्तर में हुई।
पं. रविशंकर शुक्ल का जन्म
पण्डित रविशंकर शुक्ल की जीवनी: पं. रविशंकर शुक्ल का जन्म 2 अगस्त सन् 1877 को सागर में एक साधारण परिवार में हुआ था। अगर हम उनकी शिक्षा के बारे में बात करे तो उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा एवं हाईस्कूल की परीक्षा रायपुर से उत्तीर्ण और जबलपुर से उन्होंने इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की । इसके बाद उन्होंने कॉलेज की बी.ए. की पढ़ाई नागपुर हिस्लाप कालेज में शुरू की लेकिन बी.ए. की परीक्षा कोलकाता से पास की। तत्पष्चात उन्होंने ने जबलपुर से एल.एल.बी. किया और रायपुर में वकालत शुरू की।
पं. रविशंकर शुक्ल का प्रारंभिक जीवन
- 1901 में उनकी सरकारी नौकरी समाप्त कर दी गई। जबलपुर में वे हितकारिणी स्कूल में शिक्षक बने और कानून की पढ़ाई की।
- रविशंकर शुक्ल और भवानी देवी का विवाह 1902 में हुआ। खैरागढ़ में उनकी शादी के बाद उन्हें एक हाई स्कूल प्रिंसिपल नियुक्त किया गया।
- उनके छात्रों में बस्तर से युवराज रुद्रप्रताप देव, कवर्धा से युवराज यदुनंदन सिंह और पदुमलाल से पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी शामिल हैं।
- राजनांदगांव में ही रविशंकर शुक्ल ने अपना कानूनी करियर शुरू किया था, कुछ महीनों के बाद वे रायपुर चले गए और वहाँ कानून का अभ्यास करने लगे।
- 1910 ई. में उन्होंने प्रयाग कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया।
- 1912 ई. में रविशंकर शुक्ल द्वारा स्थापित कन्या कुब्ज महासभा भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण संस्था है।
- रायपुर में छात्रावास कन्या कुब्ज की स्थापना उन्होंने ही की थी साथ ही मासिक पत्रिका कन्या कुब्ज का प्रकाशन भी उन्होंने ही किया था।
- जलियांवाला बाग हत्याकांड से उनका दिल टूट गया था, इसलिए उन्होंने इस देश को आजाद कराने के लिए खुद को प्रतिबद्ध कर लिया। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने स्वयं खादी के कपड़े पहनना शुरू किया।
- रायपुर में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना जनवरी 1921 ई. में अंग्रेजी शिक्षा के बहिष्कार तथा राष्ट्रीय शिक्षा के प्रचार के अंग के रूप में की गई थी। उनका 1934 का उपन्यास, “आयरलैंड का इतिहास”, भारतीय पत्रिका “उत्थान” धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ।
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राजनैतिक जीवन
- 1921 के कांग्रेस अभियान के दौरान, वे अखिल भारतीय कांग्रेस जनरल कमेटी के सदस्य चुने गए।
- 1921 की शुरुआत में, वे रायपुर जिला परिषद के सदस्य चुने गए थे।
- 1922 में रायपुर जिला परिषद का एक सम्मेलन हो रहा था, और उन्होंने कुछ ब्रिटिश अधिकारियों को प्रवेश देने से मना कर दिया।
- वे 1927 से 1936 ई. तक रायपुर जिला परिषद के अध्यक्ष रहे।
- उन्होंने स्कूलों में वन्दे मातरम् का गायन और राष्ट्रीय झण्डे को फहराना अनिवार्य कर दिया।
- 1924 में वह पहली बार प्रांतीय विधानसभा के सदस्य चुने गए थे।
- राजनीतिक चेतना और सामाजिक जागरूकता जगाने के लिए उनके द्वारा 1935 में महाकौशल साप्ताहिक शुरू किया गया था।
- डॉ. खरे के मंत्रिमंडल में शुक्ल जी शिक्षा मंत्री बने।
- 1939 में, कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया। संविधान सभा ने उन्हें सदस्यता के लिए भी चुना।
- 1946 के विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला था। व पं. रविशंकर शुक्ला मुख्यमंत्री के रूप में पद भार ग्रहण की ।
- 1 नवम्बर 1956 को जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ तो पं. रविशंकर शुक्ला नए राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पद भार ग्रहण की।
पंडित रविशंकर शुक्ल जी कि शिक्षा
- रविशंकर शुक्ल का चार साल की आयु में सागर स्थित “सुन्दरलाल पाठशाला” में दाखिला हुया था। इस पाठशाला से उन्होंने आठ वर्ष की आयु प्राथमिक शिक्षा पूरी कि और फिर रविशंकर जी ने अपनी माध्यमिक शिक्षा सागर से ही पूरी की।
राजनीति से पहले का सफर
- रविशंकर शुक्ल ने कॉलेज से स्नातक होते ही सरायपाली में सूखे से राहत के लिए काम करना शुरू कर दिया। शुक्ल जी की ईमानदारी और लगन के फलस्वरूप उन्हें नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नत किया गया।
सम्मान
- 1995-1996 से विधान सभा सचिवालय ने उनके सम्मान में उत्कृष्ट मंत्री पुरस्कार की स्थापना की है।
- दिल्ली में संसद भवन परिसर में रविशंकर शुक्ल की प्रतिमा है।
- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल के नाम पर एक विश्वविद्यालय है।
पं. रविशंकर शुक्ल का मुख्यमंत्री बनाना
1946 में, उन्हें मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए फिर से चुना गया और मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। 1951 में उन्हें फिर से राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया।
पंडित रविशंकर शुक्ल की मृत्यु
Pandit Ravishankar Shukla ki jivani: मध्य प्रदेश के गठन के दो महीने बाद 31 दिसंबर 1956 को 80 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।
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