CG Best Tourist Places मानसून में घूमने के लिए बेस्ट है छत्तीसगढ़ के ये 7 टूरिस्ट प्लेस : यहां के नजारे भूल नहीं पाएंगे, जानिए दूरी, कैसे पहुंचे और ठहरने की व्यवस्था…

मानसून आते ही छत्तीसगढ़ की प्रकृति अपने सबसे खूबसूरत रूप में नजर आती है। हरियाली, झरने और जंगलों का माहौल दिल को खुश कर देता है। इस मौसम में आप परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने-फिरने, खाने-पीने के साथ भरपूर मौज-मस्ती कर सकते हैं।

अगर आप वीकेंड पर मौसम का मजा लेने के लिए कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो धमतरी का गंगरेल डैम आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। रायपुर के करीब घटारानी आपकी ट्रिप को यादगार बना देगा। ये जगहें न सिर्फ प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर हैं, बल्कि यहां वाटर स्पोर्ट्स, पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए भी बेहतरीन माहौल है।

सरगुजा के मैनपाट, चिल्फी घाटी का भोरमदेव, धमतरी के गंगरेल, गरियाबंद के जतमई-घटारानी, जगदलपुर के चित्रकोट समेत 7 स्पॉट के बारे जानिए। यहां कैसे पहुंचे, ठहरने की क्या व्यवस्था है सब कुछ विस्तार से जानते है…

पहले जानिए रायपुर से करीब के कुछ टूरिस्ट स्पॉट

  • जतमई-घटारानी (गरियाबंद)

जतमई मंदिर गरियाबंद जिले के दक्षिण में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर जतमई माता को समर्पित है, जो हिंदू धर्म की देवी दुर्गा का एक रूप हैं। यह एक धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। मंदिर के बिल्कुल करीब झरना बहता है। जंगलों से घिरा मंदिर और सफेद बहता पानी देखना मन और आंखों को सुकून देता है। यह रायपुर से – 87 किमी दूरी पर स्थित है, रायपुर से जतमई तक पहुंचने के लिए नियमित बस सेवा और प्राइवेट कैब कर सकते हैं। तथा रुकने की व्यवस्था- कुछ प्राइवेट रिसॉर्ट आस-पास ही मिलेंगे। जिनका किराया 2 से 4 हजार रुपए तक होता है।

  • गंगरेल डैम (धमतरी)

धमतरी के गंगरेल बांध को पर्यटन के लिहाज से बेहद खूबसूरती से विकसित किया गया है। यहां एक सुंदर गार्डन है। पर्यटकों को ‘सी बीच’ का अहसास देकर उत्साह जगाने के लिए करीब एक किलोमीटर के दायरे में आर्टिफिशियल बीच तैयार किया गया है। जहां बैठकर परिवार और दोस्तों के साथ आनंद ले करते हैं।

यहां कमांडो नेट, रोप लाइनिंग, जिप लाइनिंग, वाटर साइकिल, कयाक, पैरासेलिंग, आकटेन समेत कई तरह के एडवेंचर की व्यवस्था है। यहां 50 रुपए से लेकर 4,000 रुपए में अलग-अलग तरह की बोटिंग की जा सकती है। यह रायपुर से – 85 किमी दूरी पर स्थित है, गंगरेल बांध धमतरी रेलवे स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क मार्ग से रायपुर से सीधे जा सकते हैं। प्राइवेट कैब या बस से या धमतरी से लोकल ट्रांसपोर्ट भी ले सकते हैं। रुकने की व्यवस्था – गंगरेल के किनारों से लगे हुए रिसॉर्ट 3 से 5 हजार रुपए तक उपलब्ध हो जाएगी वही धमतरी शहर में 1500 से 2 हजार में सस्ते लॉज-होटल भी है।

  • चिल्फी घाटी (कवर्धा)

चिल्फी घाटी और भोरमदेव, छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित दो प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। चिल्फी घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और हरे-भरे दृश्यों के लिए जानी जाती है, जबकि भोरमदेव मंदिर अपने ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

यह घाटी कवर्धा जिले में मैकल पर्वत श्रृंखला में स्थित है। बारिश के मौसम में यहां ड्राइविंग करना सभी को पसंद आता है। इसी रास्ते में रानी-धारा झरना देखा जा सकता है। रायपुर से दूरी – 150 किमी चिल्फी व 140 किमी भोरमदेव मंदिर है। कैसे जाएं- बस से कवर्धा पहुंचा जा सकता है। प्राइवेट कैब या बाइकिंग के शौकीन हैं, तो इससे भी जाया जा सकता है। रुकने की व्यवस्था- चिल्फी घाटी में कुछ प्राइवेट होटल हैं। पहाड़ पर सरोदा रिसॉर्ट पर्यटन विभाग का है। दोनों ही जगहों पर 2 से 5 हजार रुपए देकर रुक सकते हैं।

अब जानिए बस्तर के कुछ खास स्पॉट

  • चित्रकोट जलप्रपात (जगदलपुर)

इस जल प्रपात का आकार घोड़े की नाल की तरह है। यहां इंद्रावती नदी का पानी लगभग 90 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। बारिश के दिनों में 7 से ज्यादा धाराएं नीचे गिरती हैं। ठंड और गर्मी के समय 2 से 3 धाराएं गिरती हैं। इस वॉटरफॉल के नीचे एक छोटी सी गुफा में चट्टानों के बीच शिवलिंग स्थित है।

जल प्रपात से नीचे गिरने वाले पानी से सालभर शिवलिंग का जलाभिषेक होता है। कहा जाता है कि नाविक यहां भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। हालांकि बारिश के दिनों में शिवलिंग तक पहुंचा नहीं जा सकता। गर्मी और ठंड के मौसम में पर्यटकों के कहने पर ही नाविक शिवलिंग तक पर्यटकों को लेकर जाते हैं। यह रायपुर से दूरी- 283 किमी वहीं जगदलपुर से 39 किमी की दूरी पर स्थित है। बिलासपुर और जबलपुर से हवाई सेवा के माध्यम से व रायपुर से बस, प्राइवेट कैब या निजी साधन से यहां पहुंच सकते हैं। रुकने की व्यवस्था- निजी होटल और रिसॉर्ट में 500 से 5 हजार रुपए तक लग सकते हैं। होम स्टे में 500 से 2500 रुपए तक में रुक सकते हैं।

  • तीरथगढ़ जलप्रपात (जगदलपुर)

चित्रकोट के साथ ही तीरथगढ़ जल प्रपात भी बस्तर के कांगेर घाटी नेशनल पार्क में स्थित है। जगदलपुर से इसकी दूरी लगभग 40 किमी है। इस जल प्रपात की खास बात है कि इसमें पानी सीढ़ीनुमा आकार में नीचे गिरता है।

ठंड और गर्मी के समय पानी का रंग सफेद मोतियों की तरह दिखता है। पर्यटक रायपुर और हैदराबाद से जगदलपुर तक हवाई और बस सेवा समेत सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। जगदलपुर से सड़क मार्ग से केशलूर होते हुए तीरथगढ़ प्रपात तक पहुंचा जा सकता है।

  • नीलम सरई जलप्रपात (बीजापुर)

बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक में स्थित नीलम सरई जलधारा हाल ही के कुछ साल पहले सुर्खियों में आया है। स्थानीय युवाओं की टीम ने इस नीलम सरई जल प्रपात को लोगों के सामने लाया। उसूर के सोढ़ी पारा से लगभग 7 किमी दूर तीन पहाड़ियों की चढ़ाई को पार कर यहां पहुंचा जा सकता है। नीलम सरई जलप्रपात तक का सफर ट्रैकिंग के लिए ही माना जाता है। बस्तर की हसीन वादियों के बीच ट्रैकिंग करने वालों के लिए यहां का सफर रोमांच भरा होता है।

  • नंबी जलप्रपात (बीजापुर)

बीजापुर जिले के उसूर ग्राम से 8 किमी पूर्व की ओर नड़पल्ली ग्राम को पार करने के बाद नंबी ग्राम आता है। इस गांव से तीन किमी जंगल की ओर दक्षिण दिशा में पहाड़ पर बहुत ही ऊंचा जलप्रपात है। इसे नीचे से देखने पर एक पतली जलधारा बहने के समान दिखाई देती है। इसलिए इसे नंबी जलधारा कहते हैं। लगभग 300 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले इस जलधारा को देखकर यह कहा जाता है कि यह बस्तर की सबसे ऊंची जलधारा है।

  • लंका पल्ली जलप्रपात (बीजापुर)

बीजापुर जिला मुख्यालय से 33 किमी दूर दक्षिण दिशा की ओर आवापल्ली गांव है। यहां से पश्चिम दिशा में लगभग 15 किमी पर लंकापल्ली गांव बसा हुआ है। जो यहां साल के 12 महीने निरंतर बहने वाले जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है। प्रकृति की गोद में शांत एवं स्वच्छंद रूप से अविरल बहते इस प्रपात को लोग गोंडी बोली में बोक्ता बोलते हैं। नाइट कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिए यह एक शानदार जगह है।

  • ढोलकल शिखर (दंतेवाड़ा)

दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल शिखर पर करीब ढाई से तीन हजार फीट की ऊंचाई पर गणपति विराजे हैं। गणपति जी से लोगों की आस्था जुड़ी है। साथ ही कई किवदंतियां भी हैं। बताया जाता है कि भगवान परशुराम और गणेश जी का यहां युद्ध हुआ था। इसके बाद यहां एक दंत वाले गणेश जी की मूर्ति स्थापित की गई थी।

गांव के बुजुर्गों और पुरानी कहानी के अनुसार यह जानकारी सामने आई थी। वर्तमान में यहां हर साल ढोलकल महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। लोगों का मानना है कि गणेश जी क्षेत्र की रक्षा करते हैं।

  • मैनपाट (सरगुजा)

मैनपाट में झरने और कई दर्शनीय स्थलों के साथ ही टाउ की फसल लोगों को आकर्षित करती है। तिब्बती समुदाय के कैंप भी देखने लायक हैं। सात अलग-अलग तिब्बती कैंपों में शांति के ध्वज यहां हवा में लहराते हैं जो अलग से सुकून देते हैं। बौद्ध मठ, मंदिर भी यहां दर्शन के लिए हमेशा खुले रहते हैं।

मैनपाट में यहां भी घूम सकते हैं – मैनपाट में झरने और कई दर्शनीय स्थलों के साथ ही टाउ की फसल लोगों को आकर्षित करती है। तिब्बती समुदाय के कैंप भी देखने लायक हैं। सात अलग-अलग तिब्बती कैंपों में शांति के ध्वज यहां हवा में लहराते हैं जो अलग से सुकून देते हैं। बौद्ध मठ, मंदिर भी यहां दर्शन के लिए हमेशा खुले रहते हैं। रायपुर से इसकी दूरी- 390 किमी वहीं अंबिकापुर से करीब 55 किमी पर स्थित है। कैसे जाएं- नजदीकी रेलवे स्टेशन अंबिकापुर है इसके अलावा मैनपाट जाने के लिए बस, टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। अंबिकापुर-रायगढ़ राजमार्ग से होते हुए मैनपाट आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रुकने की व्यवस्था- मैनपाट के अंदर सरकारी रिसॉर्ट और कई निजी रिसॉर्ट है। जिसका किराया 1 हजार रुपए से शुरू होता है। दो ढाई हजार में लग्जरी रूम भी उपलब्ध है।

इसके अलावा टाइगर प्वाइंट, फिश प्वाइंट, परपटिया, तिब्बती मठ मंदिर, तिब्बती कैंप, मेहता प्वाइंट, टांगीनाथ का मंदिर प्रमुख पर्यटन केंद्र है। मैनपाट सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए इस घाटी से वाहनों को गुजरना होता है।

उल्टा पानी : यहां गुरुत्वाकर्षण का नियम फेल होता दिखता है। सड़क पर चुंबकीय प्रभाव के कारण चार पहिया वाहन और पानी ढाल पर लुढ़कने के बजाय ऊपर की ओर चलने लगते हैं।

दलदली : दलदली में छोटे बच्चों से लेकर हर वर्ग के लोग उछल-कूद करते हैं। यहां की धरती डोलती है। झूले की तरह धरती हिलने लगती है। साल के घने जंगलों के बीच यह दलदली मैनपाट के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

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