
छत्तीसगढ़ के हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे जी का जीवन परिचय (Chhattisgarh’s Surendra Dubey Biography in Hindi)
Biography Of Surendra Dubey Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की माटी में कई रत्न जन्मे हैं, लेकिन उनमें से एक अनमोल रत्न हैं – डॉ. सुरेन्द्र दुबे, एक ऐसे नाम जिन्हें हास्य और व्यंग्य की दुनिया में विश्व स्तर पर जाना जाता है। वे न केवल एक सफल कवि रहें बल्कि आयुर्वेदाचार्य, समाजसेवी और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक दूत भी थे। 26 जून 2025 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी कविताएं, उनके विचार और उनका मुस्कुराता चेहरा हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगा।
प्रारंभिक जीवन
जन्म और बचपन
सुरेंद्र दुबे (Surendra Dubey) का जन्म 8 जनवरी सन 1953 को छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले में बेमेतरा गाव में हुआ था। बचपन से ही वे अत्यंत सरल और संस्कारी वातावरण में पले-बढ़े। उनकी हाजिरजवाबी और मजाकिया शैली बचपन में ही झलकने लगी थी।
शिक्षा और शुरुआती संघर्ष
उन्होंने आयुर्वेद में स्नातक (BAMS) की शिक्षा प्राप्त की और चिकित्सा को अपना पेशा चुना। पढ़ाई के दौरान ही कविताएं लिखने का शौक लगा और यही शौक आगे चलकर उनकी पहचान बन गया।
पेशेवर जीवन
आयुर्वेदाचार्य से कवि तक का सफर
उन्होंने पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएं दीं, लेकिन दिल हमेशा साहित्य की ओर ही खिंचता रहा। चिकित्सा और कविता – दोनों में ही वे मानवता की सेवा करते हैं।
चिकित्सा सेवा और समाजसेवा
भले ही हास्य कविताओं के माध्यम से उन्होंने ख्याति प्राप्त कि लेकिन वे हमेशा से चिकित्सा के माध्यम से लोगों की मदद करते रहते थे। उनका यह सेवा भाव उन्हें आम लोगों से जोड़ता है।
साहित्यिक यात्रा
कविता लेखन की शुरुआत
कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था। शुरुआत में सामाजिक विषयों पर, लेकिन बाद में व्यंग्य और हास्य उनकी पहचान बन गई।
हास्य और व्यंग्य की पहचान
डॉ. दुबे का हास्य न सिर्फ हँसाता है, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करता है। वे हास्य को माध्यम बनाकर गंभीर सामाजिक संदेश देते हैं।
कुछ प्रमुख कवितायें…
दु के पहाड़ा ल चार बार पढ़,आमटहा भाटा ला खा के मुनगा ल चिचोर,
राजिम में नहा के
डोंगरगढ़ म चढ़,
एला कहिथे
छत्तीसगढ़ ।।
‘मोदी जी कहते हैं काला धन जब्त हो’
लॉदेन मरा कैसे….
‘मोदी के आने से बहुत फर्क पड़ा है…’
नेता चल…
‘पाँच अगस्त का सूरज राघव को लाने वाला है,राम भक्त जयघोष करो मंदिर बनने वाला है…’
अपनी मौत की अफवाह पर कविता लिखी-
ये थीं मौत की झूठी खबर पर लिखी खुद सुरेंद्र दुबे की कविता की पंक्तियां
मेरे दरवाजे पर लोग आ गए
यह कहते हुए की दुबे जी निपट गे भैया
बहुत हंसात रिहीस..
मैं निकला बोला- अरे चुप यह हास्य का कोकड़ा है, ठहाके का परिंदा है
टेंशन में मत रहना बाबू टाइगर अभी जिंदा है.
मेरी पत्नी को एक आदमी ने फोन किया
वो बोला- दुबे जी निपट गे,
मेरी पत्नी बोली ऐसे हमारे भाग्य कहां है
रात को आए हैं पनीर खाए हैं
पिज़्ज़ा उनका पसंदीदा है
टेंशन में तो मैं हूं कि टाइगर अभी जिंदा है.
एक आदमी उदास दिखा मैंने पूछा तो बोला मरघट की लकड़ी वाला हूं
बोला वहां की लकड़ी वापस नहीं हो सकती आपको तो मरना पड़ेगा
नहीं तो मेरे 1600 रुपए का नुकसान हो जाएगा
मैंने कहा- अरे टेंशन में मत रह पगले टाइगर अभी जिंदा है.
कोरोना के “शोले” से बचकर..
कोरोना की “दिवार” गिराकर..
कोरोना की “ज़ंजीर” तोड़कर..
वो “मुक़द्दर का सिकंदर”..
फिर “शहंशाह” बनेगा ।।
कवि डॉक्टर सुरेंद्र दुबे
मंचीय प्रस्तुतियाँ
कवि सम्मेलनों में भागीदारी
डॉ. दुबे ने देशभर के हजारों कवि सम्मेलनों में हिस्सा लिया और अपनी हास्य कविता से लाखों दिल जीते।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच
उन्होंने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया और छत्तीसगढ़ी हास्य कविता का परचम लहराया।
उनकी शैली की विशेषताएँ
व्यंग्यात्मक शैली
उनकी शैली व्यंग्यात्मक होते हुए भी कभी अपमानजनक नहीं होती। वे समाज की कमियों पर करारा व्यंग्य करते हैं पर समाधान भी सुझाते हैं।
जनमानस से जुड़ाव
उनकी भाषा आमजन की भाषा है। उनकी कविता में गांव की मिट्टी की खुशबू है, जो हर वर्ग के लोगों को जोड़ती है।
प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
पद्म श्री सम्मान
डॉ. सुरेन्द्र दुबे को 2010 में भारत सरकार द्वारा “पद्म श्री” सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान हास्य कविता के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए दिया गया।
अन्य प्रमुख सम्मान
- साल 2008 में ‘काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित
- साल 2010 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री सम्मान
- वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान
- संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान
- अमेरिका के वाशिंगटन में हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित
- उनकी रचनाओं पर देश के तीन विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है।
- हास्य-व्यंग्य साहित्य की पांच पुस्तकें लिखीं
- साहित्यिक योगदान के लिये देश-विदेश में सम्मानित
डॉ. दुबे और छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की संस्कृति में योगदान
वे छत्तीसगढ़ की बोली, संस्कृति और जीवनशैली को अपनी कविताओं में जीवित रखते हैं। उनका हर शब्द माटी से जुड़ा होता है। डॉ. दुबे आज छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत थे। वे न केवल एक कवि हैं बल्कि छत्तीसगढ़ के संस्कृति दूत भी थे।
निधन: एक युग का अंत
26 जून 2025, यह तारीख छत्तीसगढ़ और भारतीय साहित्य के इतिहास में शोक की रेखा खींच गई।
डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन हुआ, और उनके साथ चला गया एक ऐसा युग जो हँसी के माध्यम से गंभीर मुद्दों की बात करता था।
“कविता की दुनिया से गया एक दीपक, लेकिन उसकी लौ आज भी जल रही है हमारे दिलों में।”
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. डॉ. सुरेन्द्र दुबे किस क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध हैं?
वो हास्य और व्यंग्य कविता के लिए प्रसिद्ध हैं।
Q2. उन्हें किस वर्ष पद्म श्री सम्मान मिला था?
उन्हें 2010 में पद्म श्री मिला था।
Q1. डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन कब हुआ?
26 जून 2025 को उनका निधन हुआ।
Also Read: भाजपा विधायक लक्ष्मी राजवाड़े का जीवन परिचय (BJP MLA Laxmi Rajwade Biography in Hindi)