पण्डित सुंदरलाल शर्मा – Pandit sundarlal sharma biography in hindi
जन्म – 21 दिसम्बर 1881
मृत्यु – 28 दिसंबर 1940
स्थान – चामसूर ( राजिम के निकट )
पिता – जगलाल तिवारी
पंडित सुंदरलाल शर्मा का छत्तीसगढ़ की राजनीति के साथ-साथ देश में स्वतंत्रता आंदोलन में एक मजबूत इतिहास रहा है।
पं. सुन्दरलाल शर्मा का जन्म 1881 में छत्तीसगढ़ में राजिम के पास चामसूर गाँव में हुआ था। उन्होंने 1907 में राजिम में एक संस्कृत पाठशाला और रायपुर में सतनामी आश्रम और 1910 में राजिम में पहली स्वदेशी दुकान की स्थापना की व 1920 के कण्डेल सत्याग्रह के सूत्रधार थे।
आपके पिता का नाम जगलाल तिवारी था और आपकी माता का नाम देवमती था। आपने स्कूल के बाद घर पर संस्कृत, मराठी, बंगाली और उड़िया भाषाओं का अध्ययन किया। उन्होंने कम उम्र में ही लघु कथाएँ और लेख लिखना शुरू कर दिया था। बुराइयों को मिटाने के लिए शिक्षा का प्रसार करना आवश्यक हो गया। आपने हिंदी और छत्तीसगढ़ी को मिलाकर लगभग 18 ग्रंथों की रचना की, जिनमें छत्तीसगढ़ी दान-लीला प्रसिद्ध है। इन्हें छग का प्रथम स्वप्नदृष्टा व छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम संकल्पना कार कहा जाता है। आपने छग में दुलरवा पत्रिका और हिंदी में कृष्ण जन्मस्थान पत्रिका लिखा। पं. सुन्दरलाल शर्मा, बंग-भंग विद्रोह के दौरान 1905 में राजनीति से जुड़े 1906 में कोंग्रस से जुड़े, 1907 में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में भी शामिल हुए और रायपुर आकर विदेशी वस्तुओ के बहिस्कार का प्रचार किया।
वे छत्तीसगढ़ के गांधी थे जिन्होंने 19वीं शताब्दी के अंतिम चरण में लोगों को नई सोच और दिशा दी। वह राष्ट्रीय किसान आंदोलन, मद्यनिषेध, आदिवासी आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन से जुड़े थे और उन्होंने अपना जीवन स्वतंत्रता के बलिदान के लिए समर्पित कर दिया। इसलिए, उन्हें छत्तीसगढ़ के गांधी के रूप में जाना जाता है।
महात्मा गांधी ने स्वतंत्र स्वर से आपके हरिजनोदर कार्य की प्रशंसा करते हुए आपको इस कार्य में गुरु माना। धमतरी के पास कंडेल नहर सत्याग्रह आपके नेतृत्व के कारण सफल रहा। आपके काम के कारण ही 20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी पहली बार रायपुर आए थे।
उनकी स्मृति में सरकार द्वारा साहित्य/अंचलीक साहित्य के लिए सुंदरलाल शर्मा सम्मान की स्थापना की गई। आप छत्तीसगढ़ में असहयोग आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे। वे जीवन भर सादा जीवन, उच्च विचार के आदर्श पर चलते रहे। समाज सेवा में लगी कड़ी मेहनत के कारण आपका शरीर क्षीण हो गया और 28 दिसंबर 1940 को आपकी मृत्यु हो गई।
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पं. सुन्दरलाल शर्मा की प्रकाशित कृतियाँ
छत्तीसगढ़ी दानलीला
काव्यामृतवर्षिणी
राजीव प्रेम-पियूष
सीता परिणय
पार्वती परिणय
प्रल्हाद चरित्र
ध्रुव आख्यान
करुणा पच्चीसी
श्रीकृष्ण जन्म आख्यान
सच्चा सरदार
विक्रम शशिकला
विक्टोरिया वियोग
श्री रघुनाथ गुण कीर्तन
प्रताप पदावली
सतनामी भजनमाला
कंस वध।
सम्मान
छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी याद में साहित्य/आंचिलेक साहित्य के लिए ‘पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान’ स्थापित किया है।
पंडित सुंदरलाल शर्मा के सम्मान में उनके नाम पर ‘पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़’ की स्थापना की गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम संकल्पना किसने की थी?
छग का प्रथम स्वप्नदृष्टा व छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम संकल्पना कार पं. सुन्दरलाल शर्मा को कहा जाता है।
पंडित सुंदरलाल शर्मा की मृत्यु
28 दिसंबर 1940 को पंडित सुंदरलाल शर्मा की मृत्यु हो गई थी।