
Amit Baghel Biography in Hindi: कौन हैं अमित बघेल? जानिए छत्तीसगढ़ के इस उभरते राजनीतिक चेहरे की कहानी
Amit Baghel Biography in Hindi: छत्तीसगढ़ की राजनीति में तेजी से उभरता नाम अमित बघेल आज “छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान” और “जनसंघर्ष की राजनीति” को लेकर सक्रिय हैं। वे जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष हैं और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में भी पहचाने जाते हैं। उनकी पहचान सिर्फ एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है जिन्होंने भाषा, जंगल और मजदूर वर्ग के लिए वर्षों संघर्ष किया है।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
अमित बघेल का जन्म 28 नवंबर 1972 को दुर्ग जिले में एक सामान्य परिवार में हुआ था। वर्तमान में वे रायपुर जिले के धरसीवा ब्लॉक के पथरी गाँव में निवास करते हैं और किसान हैं।
उनके पिता का नाम स्व. रामकुमार बघेल है। अमित बघेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नद्रष्टा आदरणीय डॉ. खूबचंद बघेल के पोते हैं। उनकी पत्नी का नाम ईश्वरी बघेल है, जो घरेलू जीवन में भी उनके सामाजिक कार्यों में सहयोग देती हैं।
शिक्षा
अमित बघेल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गणपत स्कूल, पुरानी बस्ती, रायपुर से प्राप्त की, जहाँ से उन्होंने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से एम.ए. की उपाधि हासिल की। छात्र जीवन से ही वे सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में रुचि रखते थे।
राजनीतिक सफर और संगठन
amit baghel chhattisgarh kon hai: अमित बघेल का राजनीतिक सफर जनआंदोलनों से शुरू हुआ। वे छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के संस्थापक अध्यक्ष हैं, जो राज्य की अस्मिता, भाषा और संसाधनों की रक्षा के लिए कार्यरत संगठन है। बाद में उन्होंने जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी (JCP) की स्थापना की और 2023 में धरसीवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा।
उनका नारा था — “छत्तीसगढ़ की राजनीति, छत्तीसगढ़ के हाथ में।”
संघर्ष और जेल यात्रा
अमित बघेल के जीवन में संघर्ष का अध्याय भी लंबा रहा है।
उन्होंने हसदेव अरण्य जंगल को बचाने के आंदोलन में 6 महीने और 16 दिन की जेल काटी।
इसके अलावा वे छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़िया पहचान और छत्तीसगढ़ी भाषा की मांगों को लेकर कई बार जेल जा चुके हैं।
मजदूरों के लिए कार्य
अमित बघेल ने राज्य में औद्योगिक दुर्घटनाओं में मारे गए श्रमिकों और मजदूरों के परिवारों को उचित मुआवजा दिलाने की दिशा में लगातार काम किया।
उनके हस्तक्षेप और दबाव से कई मामलों में मृतक परिवारों को न्याय मिला और श्रम विभाग को कार्रवाई करनी पड़ी।
वे मजदूर और किसान वर्ग को राज्य की “रीढ़” मानते हैं और उनके अधिकारों की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बताते हैं।
राजनीतिक विचारधारा और लक्ष्य
अमित बघेल की राजनीति “जनसत्ता” और “छत्तीसगढ़ी स्वराज” के विचार पर आधारित है।
वे मानते हैं कि राज्य की नीतियाँ तब तक सफल नहीं हो सकतीं जब तक स्थानीय किसान, मजदूर और युवा उसकी दिशा तय न करें।
उनका लक्ष्य है —
“छत्तीसगढ़ की धरती, छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए।”
अमित बघेल विवाद: Amit Baghel Controversy
26 अक्टूबर 2025 को अमित बघेल के कथित बयानों के बाद सिंधी समुदाय तथा अग्रवाल समुदाय में आक्रोश फैल गया। उनके उपर रायपुर और अन्य जिलों में एफआईआर दर्ज हो गई है जिसमें कहा गया है कि इन बयानों ने धार्मिक या सामाजिक भावनाओं को आहत किया। पुलिस ने कहा है कि मामला धार्मिक व सामाजिक भावनाओं को आहत करने की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।
सोशल मीडिया और जनसंपर्क
अमित बघेल सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं।
उनका इंस्टाग्राम अकाउंट @amitbagheljcp और फेसबुक पेज पर अक्सर छत्तीसगढ़ी संस्कृति, किसान आंदोलनों और स्थानीय मुद्दों पर वीडियो और पोस्ट साझा की जाती हैं।
निष्कर्ष
तो ये हैं अमित बघेल वे किसान भी हैं, समाजसेवी भी, और राजनीतिक कार्यकर्ता भी।
छत्तीसगढ़ की अस्मिता, जंगल, भाषा और मजदूरों की आवाज को उन्होंने जिस निरंतरता से उठाया है, वह उन्हें राज्य के जननेताओं की पंक्ति में एक विशेष स्थान दिलाती है। लेकिन उनका दूसरे समाज के प्रति धार्मिक या सामाजिक भावनाओं को आहत करने वाले बयानों ने उनके लिए आने वाले समय के राजनितिक जीवन को चुनौती वाला बना दिया है। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जननायक अपने संघर्षों को राजनीतिक सफलता में कैसे बदलते हैं।
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