छत्तीसगढ़ की पहचान यहां के धान, किसान, लोककला, संस्कृति, इंफ्रास्ट्रक्चर और यहां की बोली-भाषा से है. इसके साथ ही फिल्म जगत में नई पहचान के साथ भी छत्तीसगढ़ तेजी से उभर रहा है. 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में छत्तीसगढ़ की फिल्म ‘भूलन द मेज’ को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया. इसे छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने डायरेक्टर bhulan the maze director मनोज वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा में बनाई है. यह फिल्म भूलन कांदा उपन्यास पर आधारित है, इसके लेखक संजीव बख्शी हैं.
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भूलन कांदा उपन्यास पर आधारित
फिल्म के टाइटल में भूलन शब्द का जिक्र है, इसका मतलब भूलन कांदा से है. यह छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाला एक पौधा है, जिस पर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है. रास्ता भूल जाता है, वह भटकने लगता है, इस दौरान कोई दूसरा इंसान जब आकर उस इंसान को छूता है तब जाकर फिर से वह होश में आता है.
इसी भूलन कांदा पर ”भूलन द मेज” फिल्म बनी है. फिल्म के जरिये आज के सामाजिक, इंसानी, सरकारी व्यवस्था में आए भटकाव को दिखाया गया है. यह फिल्म भूलन कांदा उपन्यास पर आधारित है, इसके लेखक संजीव बख्शी हैं. इस फिल्म की शूटिंग Bhulan The Maze Shooting Locationगरियाबंद के भुजिया गांव में हुई थी इसमें एक्टर ओंकार दास मानिकपुरी ने काम किया है. इस फिल्म के टाइटल सॉन्ग का म्यूजिक कैलाश खेर ने दिया है.
छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म ‘भूलन द मेज को रीजनल फिल्म कैटेगरी में बेस्ट फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. प्रदेश के ही फिल्मकार मनोज वर्मा ने इस फिल्म को बनाया है वहीं इसकी शूटिंग भी महुआभाठा गांव के जंगलों में हुई है जहां कई तरह के खतरों और दिक्कतों के बाद ये फिल्म बन पायी है. मेन स्ट्रीम सिनेमा नहीं होने की वजह से अब तक ‘भूलन द मेज’ को देश में स्क्रीन नहीं मिल रहे थे. लेकिन अब ये जल्द ही सिनेमाघरो में रिलीज़ होने वाली है.
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Bhulan The Maze Movie Release Date: 27 मई को रिलीज़ होगी “भूलन द मेज़”
नेशनल अवार्ड प्राप्त यह फिल्म कि ये फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखायी देगी. यह सिनेमाघरों में पहले 27 मई को रिलीज़ होने जा रही है. पीछे की स्टोरी बयां करते हुए फिल्म के डायरेक्टर मनोज वर्मा ने कहा कि ये फिल्म संजीव बख्शी के उपन्यास भूलन कांदा पर बनी हैइस फिल्म बनाने में मेहनत बहुत लगी और सभी कलाकारों ने जमकर मेहनत की.
उन्होंने बताया कि केशकाल के एक वैद्य ने भी भुलन कांदा का पौधा उन्हे दिखाया था जिसे पार करते ही लोग रास्ते भटक जाते हैं और मलेरिया का इलाज भी इससे ग्रामीण आदिवासी करते है. इसी रास्ते की भूल-भूलैय्या और न्याय व्यवस्था पर भूलन द मेज बनायी गयी है. पीपली लाइव जैसी फिल्मों में वक्ता के किरदार में नजर आ चुके छत्तीसगढ़िया कलाकार Bhulan The Maze Actor ओंकारदास मानिकपुरी इस फिल्म में लीड कैरेक्टर हैं.
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शूटिंग गरियाबंद जिले में हुई
मनोज वर्मा ने बताया कि फिल्म की शुटिंग गरियाबंद जिले के महुआभाठा के जंगलों में हुई है, इस दौरान यूनिट को सोने के लिए गांव में जगह तक नहीं मिली थी,जहां सोते थे रात को तो कभी सांप तो कभी तेंदुआ आ जाता था. फिल्म से जुड़े यूनिट ने दहशत में अपनी रातें गुज़ारी है. मनोज वर्मा ने बताया कि दिक्कतें यहीं खत्म नहीं हुई, शूटिंग के वक्त हमारे कैमेरामेन को हार्ट अटेक हो गया था, लेकिन फिल्म रुकी नहीं,शहर लौटने पर मनोज वर्मा ऐक्सिडेंट हो जिसमें उनका हाथ फैक्चर हो गया था.
पहली बार छत्तीसगढ़ी फिल्म को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
बीते 22 मार्च 2021 को ही तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुरस्कारों की घोषणा की थी. इसमें छत्तीसगढ़ बोली की फिल्म भूलन द मेज को भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. भूलन द मेज को इससे पहले कोलकाता, दिल्ली, ओरछा, आजमगढ़, रायपुर, रायगढ़, एवं अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल इटली एवं कैलिफोर्निया में भी पुरस्कार मिल चुका है. ”भूलन द मेज” के नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीतने वाली छत्तीसगढ़ की पहली फिल्म का रिकॉर्ड भी बन गया है. नई फिल्म नीति के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली छत्तीसगढ़ की फिल्म को एक करोड़ रुपये की अनुदान राशि देने की घोषणा की है.
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दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में छत्तीसगढ़ में बनीं फिल्म भूलन द मेज को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। फिल्म के निर्देशक मनोज वर्मा को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। रीजनल सिनेमा कैटेगरी में भूलन द मेज को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला है। समारोह में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद रहे।
कई नामचीन हस्तियों को यकीं नहीं हुआ
श्री वर्मा ने बताया कि समारोह की खासियत यह रही कि कई नामचीन हस्तियों को यकीं नहीं हुआ कि छत्तीसगढ़ में भी इतनी खूबसूरत फिल्म बन सकती है। सभी ने फिल्म की जमकर तारीफ की। इससे हौसला बढ़ा है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार को शुरू हुए 65 साल हो गए। यह पहला मौका है जब किसी छत्तीसगढ़ी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह मेरे लिए गर्व, सम्मान की बात है।
श्री वर्मा ने बताया कि दिल्ली में पुरस्कार समारोह में कई हस्तियों से मुलाकात हुई। अनेक राज्यों से पहुंचे फिल्म कलाकार, निर्देशकों ने आश्चर्य व्यक्त किया। फिल्म की कहानी सभी को बेहद पसंद आई। जूरी के सदस्य प्रसिद्ध अभिनेता मनोज जोशी ने फिल्म की खूब तारीफ की और बताया कि वे चाणक्य नाटक के मंचन के सिलसिले में राजधानी गए थे। छत्तीसगढ़ की आबोहवा उन्हें बहुत अच्छी लगी थी। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जब भी किसी फिल्म के लिए वे उन्हें बुलाएंगे, वे अवश्य आएंगे।
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कैलाश खेर ने दिया म्यूजिक
फिल्म को लिखने में ढाई साल का वक्त लगा, जबकि फिल्म बनाने में एक महीने का समय. इसकी शूटिंग गरियाबंद से 30 किलो मीटर दूर भुजिया गांव में हुई थी. इसमें एक्टर ओंकार दास मानिकपुरी, मुकेश तिवारी, अनिमा पगारे, राजेंद्र गुप्ता, अशोक मिश्रा के अलावा आशीष शेंडे, संजय महानंद, पुष्पेंद्र सिंह, सलीम अंसारी, सुरेश, अमर सिह, उपासना, उषा, सेवकम और हेमलाल मुख्य भूमिका में हैं. टाइटल सॉन्ग की म्यूजिक Bhulan The Maze Music Director कैलाश खेर ने दी है.
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